Saturday 26 October 2013

दफ़ा-ए-बलग़म, रूतूबत और ज़ियादती अक्ल

· क़ुरआन पढ़ना, मिसवाक करना और कुन्दुर खाना बलग़म में फ़ायदा करता है। )
· मुनक़्क़ा सफ़रा को दुरूस्त करता है, बलग़म को दूर करता है, पुटठों को मज़बूत करता है और नफ़्स को पाकीज़ा करता है और रंज व ग़म को दूर करता है।
· सिरका ज़ेहन को तेज़ करता है और अक़्ल को ज़्यादा करता है।
· कंघा करना दाफ़े बलग़म है।
· सिरका क़ल्ब को ज़िन्दा करता है।
· मिसवाक करना, क़ुरआन पढ़ना बलग़म को निकालता है।
· मूली खाने से गैस ख़ारिज होती है, पेशाब खुल कर होता है और बलग़म साफ़ होता है।
· मूली में तीन ख़ासियतें हैंः पत्ता ज़हरीली हवा को बदन से निकालता है, रेशा बलग़म को दूर करता है और तुख़्म हाज़िम है।
· प्याज़ दहन (मुँह) की बदबू दूर करती है, बलग़म कम करके सुस्ती व थकन को मिटाती है, मुबाशरत की कुव्वत में इज़ाफ़ा करती है, नस्ल को बढ़ाती है, बुख़ार को ख़त्म करती है और बदन ख़ुशरंग हो जाता है। (इमाम सादिक़ अ0)
· क़ुरआन पढ़ने से, शहद खाने से, और दूध पीने से हाफ़िज़ा बढ़ता है।

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