Saturday 26 October 2013

anar ke fayde

· अनार का नबाताती नाम प्यूनिका ग्रैन्टम है। यूँ तो अनार बहुत से मुल्कों में पाया जाता है लेकिन अफ़ग़ानिस्तान के क़न्धारी अनार मज़े के लिये सबसे ज़्यादा मशहूर हैं। अनार के वह दरख़्त जिनमें फल नहीं आते उसके फूल गुलेनार के नाम से दवाओं में इस्तेमाल होते हैं।
· तहक़ीक़ से यह बात साबित हो चुकी है कि अनार में शकर, कैलशियम, फ़ासफ़ोरस, लोहा, विटामिन सी पायी जाती है। जो ख़ून के बनने और जिस्म की परवरिश में मदद देते हैं इसलिये अनार का फल बीमारी के बाद कमज़ोरी को दूर करने और तन्दरूस्ती को बाक़ी रखने के लिये बहुत मुफ़ीद है।
· रसूले ख़ुदा स0 ने फ़रमाया कि अनारी को बीज के छिलके के साथ खाओ कि पेट को सही करता है, दिल को रौशन करता है और इन्सान को शैतानी वसवसों से बचाता है।
· तिब में अनार का मिज़ाज सर्द तर बताया गया है और दवा के तौर पर मसकन सफ़रा, कातिल करमे शिकम, क़ै, प्यास की ज़्यादती, यरक़ान और ख़ारिश वग़ैरा में इसका इस्तेमाल होता है। बतौर दवा अनार की अफ़ादीयत के बारे में उर्दू का यह मुहावरा ही काफ़ी है। ‘‘एक अनार .......... सौ बीमार’’’
· इस्लामी रिवायत में अनार को सय्यदुल फ़कीहा (फलों का सरदार) कहा गया है। क़ुरआन में भी अनार का ज़िक्र होता है ‘‘इन (जन्नत) में फल कसरत से हैं और खजूर और अनार के दरख़्त हैं’’ (सूर-ए-रहमान आ0 68)
· अहादीस में भी अनार का ज़िक्र हैः ‘‘जो एक पूरा अनार खाये ख़ुदा चालीस रोज़ तक उसके क़ल्ब को नूरानी करता है। शैतान दूर होता है, पेट और ख़ून साफ़ करता है। बदन में फ़ुरती आतीहै और बीमारियों से मुक़ाबले की ताक़त पैदा होती है। (रसूले ख़ुदा स0) 

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