Thursday, 7 November 2013

how to cure spermatorrhea(dhatu rog)

Spermatorrhea is a physical disease indicated by involuntary ejaculation of semen throughout sleeping hrs during the night. According to research, it’s discovered to be as a reason of reproductive illnesses. Persisting condition of spermatorrhea can induce many serious impacts on patient’s body. Based on the harshness of condition, risks of spermatorrhea change from one individual to a different. Some one of the consequences of spermatorrhea include poor eyesight, lightheadedness, high heartbeat rate, fatigue and difficulty in remembering things focus.
Remedies are often recommended by examining the real cause of problem. Following are a few one of the better suggested remedies for treating spermatorrhea condition.
Carrying out a balanced diet schedule is a vital remedy for dealing with spermatorrhea.

Patients struggling with this reproductive disorder are encouraged to intake a nutritive diet wealthy with veggies and fruits. Some one of the fruits suggested by health professionals include plum, lemon, pineapple and avocado. It’s advised to limit or cease smoking and consumption of alcohol. Following healthy lifestyle reduces the chance of infectious illnesses and enhances producing sperms in semen. Aside from following a healthy diet plan, practicing relaxation techniques like yoga is yet another safe remedy for spermatorrhea.
It’s an excellent remedial measure for reducing stress, depression and anxiety. Regular doing of breathing exercises of yoga works well for enhancing the general wellness of human. Highlighting benefits of practicing yoga exercises include enhancing versatility of muscles, growing strength and reviving cells.
Body rubbing with relaxant oil is really a safe cure recommended for treating spermatorrhea.

Doing good body rubbing with herbal oils enhances bloodstream circulation through your body helping in getting good treatments for erection. Reducing body pain, improving producing cellular energy, enhancing the purpose of nervous system and improving the versatility of muscles and joints are also notable advantages of doing body rubbing with herbal oils. Maintaining 72 hours gap between two consecutive climaxes is really a natural technique recommended for stopping the chance of spermatorrhea.
This natural tip is discovered to be very advantageous for treating infertility problems. Patients with chronic spermatorrhea are encouraged to avoid the consumption of bitter, spicy and acidic food products.
Supplying ambient temperature in testicular region is really a cure suggested for spermatorrhea. Putting on tight training pants is a one of the common causes reported for that formation of spermatorrhea problem.

Patients are encouraged to put on loose undergarments to ensure that it’ll provide ambient climate to testicles. Reducing bodyweight of human is really a safe cure suggested for treating spermatorrhea trouble. Regular doing of exercises, replacing grain with wheat, consuming fast body fat burning meals like apple, litchi, mango and bitter gourd are a few one of the effective methods for reducing bodyweight. Taking cold bath before going to sleep is yet another fix for dealing with spermatorrhea problems. It can make you are feeling fresh and induce fast asleep.
Reading through good books before going to sleep, watching good videos, consumption of herbal medicines like ashwagandha and draining bladder before mattress time are also safe remedial measures for treating spermatorrhea.

Saturday, 26 October 2013

anar ke fayde

· अनार का नबाताती नाम प्यूनिका ग्रैन्टम है। यूँ तो अनार बहुत से मुल्कों में पाया जाता है लेकिन अफ़ग़ानिस्तान के क़न्धारी अनार मज़े के लिये सबसे ज़्यादा मशहूर हैं। अनार के वह दरख़्त जिनमें फल नहीं आते उसके फूल गुलेनार के नाम से दवाओं में इस्तेमाल होते हैं।
· तहक़ीक़ से यह बात साबित हो चुकी है कि अनार में शकर, कैलशियम, फ़ासफ़ोरस, लोहा, विटामिन सी पायी जाती है। जो ख़ून के बनने और जिस्म की परवरिश में मदद देते हैं इसलिये अनार का फल बीमारी के बाद कमज़ोरी को दूर करने और तन्दरूस्ती को बाक़ी रखने के लिये बहुत मुफ़ीद है।
· रसूले ख़ुदा स0 ने फ़रमाया कि अनारी को बीज के छिलके के साथ खाओ कि पेट को सही करता है, दिल को रौशन करता है और इन्सान को शैतानी वसवसों से बचाता है।
· तिब में अनार का मिज़ाज सर्द तर बताया गया है और दवा के तौर पर मसकन सफ़रा, कातिल करमे शिकम, क़ै, प्यास की ज़्यादती, यरक़ान और ख़ारिश वग़ैरा में इसका इस्तेमाल होता है। बतौर दवा अनार की अफ़ादीयत के बारे में उर्दू का यह मुहावरा ही काफ़ी है। ‘‘एक अनार .......... सौ बीमार’’’
· इस्लामी रिवायत में अनार को सय्यदुल फ़कीहा (फलों का सरदार) कहा गया है। क़ुरआन में भी अनार का ज़िक्र होता है ‘‘इन (जन्नत) में फल कसरत से हैं और खजूर और अनार के दरख़्त हैं’’ (सूर-ए-रहमान आ0 68)
· अहादीस में भी अनार का ज़िक्र हैः ‘‘जो एक पूरा अनार खाये ख़ुदा चालीस रोज़ तक उसके क़ल्ब को नूरानी करता है। शैतान दूर होता है, पेट और ख़ून साफ़ करता है। बदन में फ़ुरती आतीहै और बीमारियों से मुक़ाबले की ताक़त पैदा होती है। (रसूले ख़ुदा स0) 

Importancy of mother milk

· बतौर ग़िज़ा दूध की एहमियत से कौन इनकार कर सकता है, दूध ऐसी मुतावाज़िन ग़िज़ा है जिसमें ग़िज़ा के तमाम अजज़ा (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, विटामिन, मिनीरल और पानी) पाया जाता है। यही सबब है कि दूध बीमारी, सेहत और हर उम्र के अफ़राद के लिये मुफ़ीद है। अगर किसी का जिस्म दूध क़ुबूल न करता हो तो उबालते वक़्त चन्द दाने इलाइची के डाल दें।
· क़ुरआन दूध की अहमियत को इस तरह बयान करता है और चैपायों के वजूद में तुम्हारे पीने के लिये हज़मशुदा ग़िज़ा (फ़रस) और ख़ून में से ख़ालिस और पसन्दीदा दूध फ़राहम करते हैं (सूर-ए-हिजर आयत 66) यानी माँ जो कुछ खाती है उससे फरस बनता है और फिर उससे ख़ून बनता है और उन दोनों के दरमिया में से दूध वुजूद में आता है। मतलब यह कि दूध में हज़म शुदा ग़िज़ा के अजज़ा के साथ ख़ून के अनासिर भी शामिल होते हैं। आयत में दूध को ख़ालिस और मुफ़ीद क़रार दिया गया है।
· दूध के बाज़ अनासिर ख़ून में नही होते और पिसतान के गुदूद में बनते हैं मसलन काज़ईन, ख़ून के कुछ अनासिर बग़ैर किसी तग़य्युर के ख़ून के प्लाज़मा से तुरशह होकर दूध में दाखि़ल होते हैं मसलन मुख़तलिफ़ विटामिन, खूरदनी नामक और मुखतलिफ फासफेट। कुछ और मवाद तबदील हो कर खून से मिलते हैं जैसे दूध में मौजूद लेकटोज़ शकर।
· माहिरीन कहते हैं कि पिसतान में एक लीटर दूध पैदा होने के लिये कम अज़ कम पाँच सौ लीटर ख़ून को उस हिस्से से गुज़रना पड़ता है ताकि दूध के लिये ज़रूरी मवाद ख़ून से हासिल किया जा सके। बच्चा जब पैदा होता है तो उसका दिफ़ाई निज़ाम बहुत कमज़ोर होता है इसलिये माँ के ख़ून में पाये जाने वाले दिफ़ाई अनासिर दूध में मुन्तक़िल होते हैं। तहक़ीक़ात में पाया गया है कि माँ के पहले दूध में कोलेस्ट्रम की मिक़दार बहुत ज़्यादा होती है। चूँकि नव मौलूद का माहौल तबदील होता है इसलिये माँ के पहले दूध में कोलेस्ट्रम की इज़ाफ़ी मिक़दार बच्चे के तहफ़्फ़ुज़ के लिये मुआविन साबित होती है। माँ का दूध बच्चे के लिये सिर्फ़ ग़िज़ा नहीं बल्कि दवा है। क़ुरआन में जनाबे मूसा अ0 की विलादत के बाद इरशाद होता है ‘‘हमने मूसा की माँ को वही की कि उसे दूध पिलाओ और जब तुम्हें उस के बारे में ख़ौफ़ लाहक़ हो तो उसे दरया की मौजों के सिपुर्द कर दो’’ सूर-ए-कसस आयत 7 ।
· दूध में सोडियम, पोटेशियम, कैलशियम, मैगनीशियम, काँसा, ताँबा, आएरन, फासफोरस, आयोडीन और गन्धक वग़ैरा मौजूद होते हैं। इसके अलावा दूध में कारबोनिक ऐसिड, लैक्टोज़ शकर, विटामिन ए, बी, सी मौजूद होते हैं। दूध में कैलशियम काफ़ी मिक़दार में होता है जो पुट्ठों और हड्डियों की नशवोनुमा के लिये बहुत ज़रूरी है यानी दूध एक मुकम्मल ग़िज़ा है इसीलिये रसूले ख़ुदा स0 की हदीस है कि ‘‘दूध के सिवा कोई चीज़ खाने पीने का नेमुल बदल नहीं है’’। हामेला औरत दूध पीयें कि बच्चे की अक़्ल में ज़्यादती का सबब है, मज़ीद फ़रमाया कि दूध पियो कि दूध पीने से ईमान ख़ालिस होता है।
· रवायत में है कि दूध आँखों की बीनाई में इज़ाफ़े का सबब है, निसयान को ख़त्म करता है, दिल को तक़वीयत देता है, और कमर को मज़बूत करता है, शरीअत का हुक्म है कि बच्चे के लिये तमाम दूधों में सबसे बेहतर माँ का दूध है।
· जदीद तहक़ीक़ से आज यह बात साबित हो चुकी है कि माँ का दूध बच्चे के लिये न सिर्फ़ मुकम्मल ग़िज़ा है बल्कि बच्चे को मुख़तलिफ़ बीमारियों से भी महफ़ूज़ रखता है हत्ता पाया गया है कि ऐसे बच्चे जो बचपन में माँ का दूध पीते हैं बड़े होकर भी ज़्यादा फ़अआल ज़हीन, तन्दरूस्त और बहुत सी बीमारियों से बचे रहते हैं।
· क़ुरआन में इरशादे परवरदिगार होता है ‘‘माँयें अपनी औलाद को पूरे दो साल दूध पिलायेंगी’’ सूर-ए-बक़रा अ0 224
· और हमने इन्सान को उसके माँ बा पके बारे में वसीयत की, उसकी माँ ज़हमत पर ज़हमत उठा कर हामेला हुई और उसके दूध पिलाने की मुद्दत 2 साल में मुकम्मल हुई है। सूर-ए-अनकबूत आयत 14

health tips

 नहार मुँह ग़ुस्ल करने से बलग़म का ख़ात्मा होता है।
· नहाने से पहले सर पर सात चुल्लू गरम पानी डालो कि सर दर्द में शिफ़ा हासिल होगी।
· ख़ाली या भरे हुए पेट में हरगिज़ नहीं नहाना चाहिये, बल्कि नहाते वक़्त कुछ ग़िज़ा मेदे में मौजूद होना चाहिए। ताकि मेदा उसे हज़म करने में मशग़ूल रहे, इस तरह मेदे को सुकून मिलता है।
· एक रोज़ दरमियान नहाना गोश्त बदन में इज़ाफ़ा का सबब है।
· नहाना इन्सानी बदन के लिये इन्तेहायी मुफीद है। ग़ुस्ल इन्सानी जिस्म को मोतदिल करता है, मैल कुचैल को जिस्म से दूर करता है आसाब और रगों को नरम करता है और जिस्मानी आ़ा को ताक़त अता करता है। गन्दगी को ख़त्म करता है और जिस्म की जिल्द से बदबू को दूर करता है।
· अगर चाहते हो कि खाल दाने, आबले, जलन से महफ़ूज़ रहे तो नहाने से पहले रौग़ने बनफ़शा बदन पर मलो।

daily habits

· कोई ग़िज़ा न खाओ मगर यह कि अव्वल उस तआम में से सदक़ा दो।
· ज़्यादा ग़िज़ा न खाओ कि क़ल्ब को सख़्त करता है, आज़ा व जवारेह को सुस्त करता है नेक बातें सुनने से दिल को रोकता है और जिस्म बीमार रहता है।
· ज़िन्दा रहने के लिये खाओ, खाने के लिये ज़िन्दा न रहो।
· जो ग़िज़ा (लुक़्मे) को ख़ूब चबाकर खाता है फ़रिश्ते उसके हक़ में दुआ करते हैं, रोज़ी में इज़ाफ़ा होता है और नेकियों का सवाब दो गुना कर दिया जाता है।
· जो शख़्स वक़्ते तआम खाने के बिस्मिल्लाह कहे तो मैं ज़ामिन हूँ कि वह खाना उसको नुक़्सान न करेगा।
· वक़्त खाना खाने के शुक्रे खुदा और याद उसकी और हम्द उसकी करो।
· जिस शख्स को यह पसन्द है कि उसके घर में खैर व बरकत ज़्यादा हो तो उसे चाहिये कि खाना जब हाजिर हो तो वज़ू करे।
· जो कोई नाम ख़ुदा का अव्वल तआम में और शुक्र ख़ुदा का आखि़र तआम पर करे हरगिज़ उस खाने का हिसाब न होगा।
· जो ज़र्रा दस्तरख्वान पर गिरे उनका खाना फक्ऱ को दूर करता है और दिल को इल्म व हिल्म और नूरे ईमान से मुनव्वर करता है।
· जनाबे अमीरूल मोमेनीन अ0 ने फ़रमाया के ऐ फ़रज़न्द! मैं तुमको चार बातें ऐसी बता दूँ जिसके बाद कभी दवा की ज़रूरत न पड़े- 1.जब तक भूख न हो न खाओ।   2. जब भूख बाक़ी हो तो खाना छोड़ दो।  3. खूब चबा कर खाओ। 4. सोने से पहले पेशाब करो।
· रौग़ने ज़ैतून ज़्यादतीए हिकमत का सबब है। (इ0 ज़माना अ0)
· भरे पेट कुछ खाना बाएस कोढ़ और जुज़ाम का होता है। 

tips for daily food

 
खाना खाने के आदाब
· तन्हा खाने वाले के साथ शैतान शरीक होता है।
· जब खाने के लिये चार चीज़ें जमा हो जायें तो उसकी तकमील हो जाती है। 1. हलाल से हो 2. उसमें ज़्यादा हाथ शामिल हों 3. उसमें अव्वल में अल्लाह का नाम लिया जाये और 4. उसके आखि़र में हम्दे ख़ुदा की जाये।
· सब मिल कर खाओ क्योंकि बरकत जमाअत में है।
· जिस दस्तरख़्वान पर शराब पी जाये उस पर न बैठो।
· जो शख़्स ग़िज़ा कम खाये जिस्म उसका सही और क़ल्ब उसका नूरानी होगा। (
· चार चीज़ें बरबाद होती हैंः शोराज़ार ज़मीन में बीज, चांदनी में चिराग़, पेट भरे में खाना और न एहल के साथ नेकी।
· जो शख़्स क़ब्ल व बाद ग़िज़ा हाथ धोए ताहयात तन्गदस्त न होए और बीमारी से महफ़ूज़ रहे।
· क़ब्ल तआम खाने के दोनों हाथ धोए अगर चे एक हाथ से खाना खाये और हाथ धोने के बाद कपड़े से ख़ुश्क न करे कि जब तक हाथ में तरी रहे तआम में बरकत रहती है।

important tips for daily life

 
दस्तूराते उमूमी आइम्मा-ए-ताहिरीन अ0
· बीमारी में जहाँ तक चल सको चलो।
· जो उम्र ज़्यादा चाहता है वह सुबह जल्दी नाश्ता खाये।
· रसूले ख़ुदा को अनार से ज़्यादा रूए ज़मीन का कोई फल पसन्द नहीं था।
· गाय का ताज़ा दूध पीना संगे कुलिया में फ़ायदा करता है।
· खड़े होकर पानी पीना दिन में ग़िज़ा को हज़म करता है और शब में बलग़म पैदा करता है। 
· हज़रत अली अ0 फ़रमाते हैं कि जनाबे हसने मुज्तबा अ0 सख़्त बीमार हुए। जनाबे फ़ातेमा ज़हरा स0 बाबा की खि़दमत में आयीं और ख़्वाहिश की कि फ़रज़न्द की शिफ़ा के लिये दुआ फ़रमायें उस वक़्त जिबराईल अ0 नाज़िल हुए और फ़रमाया ‘‘या रसूलल्लाह स0 परवरदिगार ने आप अ0 पर कोई सूरा नाज़िल नहीं किया मगर यह कि उसमें हरफ़े ‘फ़े’ न हो और हर ‘फ़े’ आफ़त से है ब-जुज़ सूर-ए-हम्द के कि उसमें ‘फ़े’ नहीं है। पस एक बर्तन में पानी लेकर चालीस बार सूर-ए-हम्द पढ़ कर फूकिये और उस पानी को इमाम हसन अ0 पर डालें इन्शाअल्लाह ख़ुदा शिफ़ा अता फ़रमाएगा।’’
· अपने बच्चों को अनार खिलाओ कि जल्द जवान करता है।
· ख़रबूज़ा मसाने को साफ़ करता है और संग-मसाना को पानी करता है।
· चुक़न्दर में हर दर्द की दवा है आसाब को क़वी करता है ख़ून की गर्मी को पुरसुकून करता है और हड्डियों को मज़बूत करता है।
· जिस ग़िज़ा को तुम पसन्द नहीं करते उसको न खाना वरना उससे हिमाक़त पैदा होगी।
· खजूर खाओ कि उस में बीमारियों का इलाज है।
· दूध से गोश्त में रूइदगी और हड्डियों में कुव्वत पैदा होती है।
· अन्जीर से हड्डियों में इस्तेक़ामत और बालों में नमू पैदा होती है और बहुत से अमराज़ बग़ैर इलाज के ही ख़त्म हो जाते हैं।